वर्तमान समय में लड़कियों में पीरियड्स की शुरुआत कम उम्र में हो रही है। अब 11 साल की उम्र से पहले पीरियड आने वाली लड़कियों की संख्या 8.6% से बढ़कर 15.5% हो गई है और 9 साल की उम्र से पहले पीरियड्स आने वाली लड़कियों की संख्या दोगुना से भी ज्यादा हो गई है। यह स्थिति लड़कियों के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह स्थिति क्यों उत्पन्न हो रही है और माता-पिता को क्या कदम उठाने चाहिए।
क्यों हो रहे हैं पीरियड्स कम उम्र में?
1. पोषण और आहार
आजकल के खानपान और जीवनशैली में बड़ा परिवर्तन आया है। बच्चों के भोजन में जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और उच्च शर्करा वाले पेय पदार्थों का अधिक सेवन हो रहा है। इन खाद्य पदार्थों में मौजूद हार्मोन और रसायन बच्चों के शरीर में हार्मोनल बदलाव ला सकते हैं, जिससे जल्दी पीरियड्स शुरू हो सकते हैं।
2. मोटापा
मोटापा भी एक महत्वपूर्ण कारण है। अधिक वजन के कारण शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जो पीरियड्स की जल्दी शुरुआत का कारण बन सकता है। आजकल के बच्चों में शारीरिक गतिविधियों की कमी और अस्वास्थ्यकर खानपान की आदतें मोटापे को बढ़ावा दे रही हैं।
3. पर्यावरणीय कारक
पर्यावरण में पाए जाने वाले रसायन और प्रदूषक भी हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकते हैं। प्लास्टिक, पेस्टिसाइड्स और अन्य रसायनों में पाए जाने वाले बिसफेनोल ए (बीपीए) और फथलेट्स जैसे पदार्थ शरीर में हार्मोन की तरह काम कर सकते हैं और पीरियड्स की जल्दी शुरुआत कर सकते हैं।
4. तनाव
आधुनिक जीवनशैली के कारण बच्चों में तनाव का स्तर भी बढ़ा है। पढ़ाई का दबाव, सामाजिक दबाव और अन्य कारणों से बच्चों में मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है, जो हार्मोनल बदलाव का कारण बन सकता है।
रिसर्च का क्या कहता है?
जामा नेटवर्क ओपन जर्नल द्वारा अमेरिका में की गई एक रिसर्च के अनुसार, लड़कियों को उनका पहला पीरियड 1950 और 60 के दशक की तुलना में औसतन लगभग 6 महीने पहले आ रहा है। इस रिसर्च के अनुसार, 1950 से 1969 के बीच लड़कियों में पीरियड्स 12.5 साल की उम्र में शुरू हो रहे थे, जबकि 2000 से 2005 में यह उम्र 11-12 साल हो गई। रिसर्च में 71,000 से अधिक महिलाओं के डाटा का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि अब लड़कियों में 9 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू हो रहे हैं।
माता-पिता को क्या करना चाहिए?
1. सही पोषण और आहार
माता-पिता को अपने बच्चों के आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। संतुलित और पौष्टिक आहार जिसमें ताजे फल, सब्जियां, सम्पूर्ण अनाज और प्रोटीन शामिल हों, बच्चों के लिए आवश्यक हैं। जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड का सेवन कम से कम करना चाहिए।
2. शारीरिक गतिविधियों को प्रोत्साहन
बच्चों को शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। खेल-कूद, योग, डांस और अन्य शारीरिक गतिविधियों से बच्चों का वजन नियंत्रण में रहता है और हार्मोनल संतुलन बना रहता है।
3. पर्यावरणीय कारकों से बचाव
बच्चों को प्लास्टिक के बर्तनों और बोतलों का उपयोग करने से बचाना चाहिए। बिसफेनोल ए (बीपीए) और फथलेट्स जैसे रसायनों से बचने के लिए ग्लास या स्टील के बर्तनों का उपयोग करना बेहतर है। इसके अलावा, जैविक खाद्य पदार्थों का चयन करना और रसायनों से बचने के उपाय करना महत्वपूर्ण है।
4. तनाव प्रबंधन
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। पढ़ाई के दबाव को कम करने के लिए बच्चों को समय-समय पर ब्रेक दिलाना, उनके साथ समय बिताना और उनकी भावनाओं को समझना आवश्यक है। बच्चों के तनाव को कम करने के लिए उन्हें योग, ध्यान और अन्य रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास सिखाना भी लाभकारी हो सकता है।
भविष्य के लिए उपाय
1. स्वास्थ्य जांच
माता-पिता को बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए। किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और समय पर चिकित्सकीय सलाह लेना चाहिए।
2. जागरूकता
माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों के बीच इस विषय पर जागरूकता फैलानी चाहिए। उन्हें पीरियड्स के बारे में सही जानकारी देना और किसी भी प्रकार की गलतफहमी को दूर करना आवश्यक है।
3. स्वास्थ्य शिक्षा
स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा का समुचित प्रावधान होना चाहिए, ताकि बच्चों को अपने शरीर और स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी मिल सके। इससे वे अपनी सेहत का ध्यान रख सकेंगे और किसी भी समस्या के बारे में खुलकर बात कर सकेंगे।
निष्कर्ष
लड़कियों में कम उम्र में पीरियड्स की शुरुआत एक गंभीर विषय है और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। माता-पिता को बच्चों के आहार, शारीरिक गतिविधियों, पर्यावरणीय कारकों और मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सही जानकारी और उचित कदम उठाकर इस समस्या का समाधान संभव है। जागरूकता और सही देखभाल के साथ, हम अपने बच्चों के स्वस्थ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।