Join Our WhatsApp Channel
ब्रेकिंग न्यूज़

शांतिदूत यूनुस के सामने चुनौतियाँ: बांग्लादेश में हिंसा, हिंदुओं पर हमले, और भारत-विरोधी भावनाएँ

राष्ट्रीय शान संवाददाता नई दिल्ली: बांग्लादेश, जो कभी एक समृद्ध और शांतिपूर्ण देश के रूप में जाना जाता था, आज संक्रमण और अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद, बांग्लादेश के कई इलाकों में हिंसा और अस्थिरता की घटनाएँ रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। इस संक्रमण काल में, अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त हुए अर्थशास्त्री और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के सामने यह एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी है।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले और हिंसा

शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय, खासतौर पर हिंदू समुदाय, हिंसा का प्रमुख निशाना बना है। हाल की खबरों के अनुसार, बांग्लादेश के 52 जिलों में अब तक 205 से अधिक घटनाओं में हिंदुओं पर हमले किए गए हैं। 17 करोड़ की आबादी वाले इस देश में 8% हिंदू हैं, जिनके घरों, मंदिरों और व्यवसायों पर व्यवस्थित रूप से हमला किया जा रहा है।

ढाका में हिंदू समुदाय ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया, सरकार से सुरक्षा की मांग की। इस हिंसा के पीछे एक संगठित प्रयास की आशंका जताई जा रही है, जो इस बहाने अपने कट्टरपंथी एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं।

अंतरिम सरकार के सामने चुनौतियाँ

शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद, अंतरिम सरकार को बांग्लादेश में शांति स्थापित करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालांकि, ब्रिगेडियर जनरल एम. सखावत, जो अब गृह मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे हैं, ने कहा कि शेख हसीना देश छोड़कर भागी थीं और उन्हें वापस आने की अनुमति है, बशर्ते वे देश में फिर से अशांति न फैलाएं।

इसी बीच, ढाका की सड़कों पर पुलिस की वापसी हुई है, जो तख्तापलट के बाद हुई हिंसा में निशाना बनी थी। पुलिसकर्मियों को सुरक्षा की गारंटी दिए जाने के बाद, वे अब अपनी ड्यूटी पर लौट आए हैं, जिससे कानून-व्यवस्था बहाल करने में मदद मिल रही है।

यूनुस का शांति बहाली का प्रयास

मोहम्मद यूनुस, जिन्हें उनकी ‘ग्रामीण बैंक’ पहल के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था, अब बांग्लादेश में शांति बहाल करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। उन्होंने हाल ही में अल्पसंख्यक समुदायों के नेताओं से मुलाकात की और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाया। यूनुस ने हिंसा की कड़ी निंदा की और छात्रों से अपील की कि वे अपने अल्पसंख्यक साथियों की सुरक्षा करें।

यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने अल्पसंख्यक अधिकारों को संरक्षित करने के लिए विभिन्न कदम उठाने की घोषणा की है, जिसमें फास्ट ट्रैक ट्रिब्यूनल का गठन और अल्पसंख्यक हितों के लिए एक अलग मंत्रालय की स्थापना शामिल है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या ये प्रयास बांग्लादेश में स्थिरता ला सकेंगे।

भारत के खिलाफ बढ़ती भावनाएँ

बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से भारत विरोधी भावनाओं में वृद्धि हुई है। हालांकि, पाकिस्तान के प्रति लोगों का समर्थन कम है, लेकिन भारत द्वारा शेख हसीना को शरण देने के कारण भारत के प्रति विरोध बढ़ा है। हसीना वर्तमान में भारत में हैं, जिससे बांग्लादेश की नई सरकार और भारत के बीच संबंधों पर सवाल उठने लगे हैं।

विशेषज्ञों की राय

बांग्लादेश में शांति बहाली के बारे में सामरिक मामलों के जानकार ब्रह्म चेल्लानी और वरिष्ठ पत्रकार फरीद हुसैन का मानना है कि स्थिति को सामान्य होने में अभी समय लगेगा। चेल्लानी का कहना है कि अंतरिम सरकार के पास कोई संवैधानिक जनादेश नहीं है और असली ताकत सेना के हाथों में है। इस स्थिति में, अंतरिम सरकार की कमजोर स्थिति को देखते हुए, शांति बहाली में और समय लग सकता है।

बांग्लादेश में हिंसा और अस्थिरता के बीच, मोहम्मद यूनुस के सामने कई चुनौतियाँ खड़ी हैं। अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले, भारत विरोधी भावनाओं का बढ़ना, और आर्मी की बढ़ती ताकत ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें संभालना आसान नहीं होगा। यूनुस की शांति की अपील और अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा के वादे के बावजूद, बांग्लादेश में स्थिरता लाने का कार्य बेहद कठिन साबित हो सकता है।

जब तक बांग्लादेश में स्थिरता बहाल नहीं होती और अल्पसंख्यकों पर हमले नहीं रुकते, तब तक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजरें इस दक्षिण एशियाई देश पर टिकी रहेंगी।

Leave a Comment

💬